लाटशाही बाबा
इतिहास:
वाराणसी, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। यह शहर हिंदू, बौद्ध, जैन और सूफी धर्मों के महत्वपूर्ण स्थलों के लिए मशहूर है। वाराणसी में कई प्रमुख दरगाहें हैं जो सूफी संतों की दरगाहों के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन दरगाहों पर हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं। उनही दरगाहों में से एक दरगाह वाराणसी के कचेरी इलाके में पड़ती है ये दरगाह लाट शाही बाबा की दरगाह के नाम से मशहूर है इस दरगाह पर जो भी सवाली लाट शाही बाबा के वसीले से दुआ मांगता है उसकी दुआ अल्लाह की बारगाह में कुबूल होती है और उसकी परेशानी और बिमारी अल्लाह के हुक्म से ख़त्म हो जाती है
हज़रत लाट शाहाई बाबा का असली नाम सैय्यद मुख़्तार अली था, जो लाट शाहाई बाबा के नाम से मशहूर हैं। आप सैय्यद थे और सन 1742 में ग़ाज़ीपुर से बनारस आए थे। हज़रत लाट शाहाई बाबा महाराजा चेत सिंह की फ़ौज में सिपाहसालार थे। महाराजा ने आपको शिवपुर रियासत का काज़ी भी बनाया था।
शहादत:
जब अंग्रेज़ फ़ौज ने राजा चेत सिंह और उनके घरवालों का घेराव किया,तो बाबा ने बनारस के महाराजा और उनके घरवालों को अंग्रेज़ों से आज़ाद कराया।राजा को बचाते हुए उसी जंग में लाट शाहाई बाबा शहीद हो गए।
उर्स:
हर साल 28 मई को आपका उर्स होता है। आपकी मज़ार पर हर धर्म और हर फ़िरके के लोग आते हैं और अपनी मन्नतें मुरादें लेकर जाते हैंइस दरगाह के बारे में पूरी मालूमात हासिल करने के लिए,कृपया इस लिंक पर जरूर क्लिक करें
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ReplyDeleteSubhan Allah
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