हजरत यूसुफ की कब्र कहां है?
हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम ने 120 साल की उम्र पाई थी।120 साल के बाद जब हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम का विसाल हुआ तो उनके चाहने वालों में इख़्तिलाफ़ हुआ कि हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को कहां दफ़न किया जाए। मिस्र के लोग यह चाहते थे कि हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को उनके मोहल्ले में ही दफ़न किया जाए ताकि उनके मोहल्ले में खैर और बरकत रहे और दूसरे मोहल्ले वाले यह चाहते थे कि उन्हें हमारे मोहल्ले में दफ़न किया जाए ताकि हमारे मोहल्ले में खुदा की रहमत नाज़िल होती रहे।
आखिर मिस्र के लोग इस बात पर राज़ी हुए कि हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को दरियाए नील में दफ़न कर दिया जाए ताकि दरिया का पानी आपकी क़ब्र-ए-मुबारक को छू कर गुज़रे और पूरे मिस्र वाले उससे बरकत हासिल कर सकें। इस लिए आपके जिस्म-ए-अतहर को संग-ए-मरमर के संदूक में बंद करके दरियाए नील में दफ़न कर दिया गया।
तक़रीबन 400 साल बाद जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का ज़माना आया और फिरऔन ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और उनके चाहने वालों पर ज़ुल्म और सितम किया, तो हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम मिस्र छोड़ कर जाने लगे। तब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को हुक्म मिला कि हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम का ताबूत भी अपने साथ ले जाएं।
इसके बाद हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम का ताबूत निकाल कर अपने साथ फ़लस्तीन ले गए और वहां फिर से हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को दफ़न किया गया।
तारीखी रिवायत के मुताबिक, उनका मक़बरा हेब्रोन के इब्राहीमी मस्जिद में हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम, हज़रत इसहाक़ अलैहिस्सलाम और हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम के साथ है।
